अयोग्य, अप्रशिक्षित व फर्जी डाॅक्टर कर रहे जान लेवा बीमारियों का इलाज●ओटी टेक्नीशियन इन्द्रेश बना सर्जन, जिले मे अलग-अलग संचालित दर्जन भर निजी अस्पतालों मे घूम-घूम कर रहा ऑपरेशन

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रायबरेली :कोरोना काल में कुकुरमुत्तों की तरह पैदा हुये निजी अस्पतालों में मरीजों की जेब पर खुलेआम डाका तो डाला ही जा रहा है, मरीजो की जान से भी खिलवाड़ किया जा रहा है। कुछ वैध तो कुछ अवैध ढंग से संचालित हो रहे इन निजी अस्पतालों में अयोग्य और अप्रशिक्षित डाक्टर ऑपरेशन तो करते ही हैं, गंभीर बीमारियों की दवायें भी लिख रहे हैं। हाल ही मे एक नामी अस्पताल के संचालक व डाॅक्टरों के खिलाफ बुलन्द हुई आवाज यह बताती है रायबरेली मे प्रशासन व विभागीय अफसर संवेदना शून्य हो चुके हैं। साल भर मे आधा दर्जन से ज्यादा मरीजों की मौत के जिम्मेदार निजी अस्पतालों की न तो कभी कोई जाँच होती और न ही कार्रवाई। यह दीगर बात है कि अस्पताल खोलने के लिए शासन ने मानक तय किये हैं। प्रशासन व विभाग की जिम्मेदारी है कि वह जिले भर में संचालित निजी अस्पतालों का निरीक्षण करें। जो बिना मानक के चल रहे हैं उनके विरुद्ध कार्रवाई करें और संचालन पर प्रतिबन्ध लगायें। लाख शिकायतों के बावजूद इन अस्पतालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। परिणाम है कि अस्पताल संचालक निरंकुश होकर काम कर रहे हैं। मरीज मर रहे हैं, लुट रहे हैं और पिट रहे हैं।उल्लेखनीय है कि सस्ती और सुलभ चिकित्सा सेवायें उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश सरकार ने अस्पतालों में एक से एक बेहतर सेवायें व व्यवस्थायें की हैं। इसी मंशा के तहत निजी अस्पताल संचालन के लिए सरकार ने सरल मानक तय किये हैं। आश्चर्य मे डालने वाली बात यह है कि रायबरेली में सरकारी मानकों को दरकिनार करके दर्जनों अस्पताल संचालित हैं, लेकिन जिम्मेदार सो रहे हैं। अगर सो न रहे होते तो पता होता कि रायबरेली शहर के निजी अस्पतालों में घूम-घूम कर ओटी मे टेक्नीशियन का काम करने, मरीजों को ऐनेस्थीसिया देने, ऑपरेशन करने और फिर उनके लिए दवायें लिखने के चार अलग-अलग काम अकेले एक “मुन्ना भाई” ही कर रहा है। जिले के सीएमओ को यह भी नहीं मालूम कि इस ‘मुन्ना भाई’ के पास डिप्लोमा तो केवल टेक्नीशियन का है, लेकिन शहर व जिले के करीब दर्जन भर निजी अस्पतालों मे वह, ओटी टेक्नीशियन के अलावा, ऐनेस्थीटिक, सर्जन व फिजीशियन के रूप मे भी सेवायें दे रहा है। मुन्ना भाई का यह गोरखधन्धा करीब सात साल से चल रहा है।सताँव ब्लाॅक के दिदौर गाँव निवासी इन्द्रेश महज तीन दो साल मे ही ओटी सहायक से ऑपरेशन करने वाला डाॅक्टर बन गया। इन्द्रेश रायबरेली शहर के अतिरिक्त बछरावाँ व गुरुबख्शगंज में संचालित निजी अस्पतालों में हर प्रकार के ऑपरेशन करता है। जानकारी तो यहाँ तक है कि इन्द्रेश हर दिन किसी न किसी निजी हाॅस्पिटल मे कोई न कोई ऑपरेशन करता है। इन्द्रेश उर्फ मुन्ना जैसे फर्जी डाॅक्टरों के खिलाफ सख्त कानून बने हैं, लेकिन सारे नियम कानून इन्द्रेश जैसे फर्जी डाॅक्टरों ने कानूनों का पालन कराने वाले जिम्मेदारों का जमीर खरीद लिया है।

Samaj Tak
Author: Samaj Tak

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तो अब उत्तर प्रदेश की सरकार मीडिया पर भी नकेल कसना शुरू कर दिया है। अब कोई भी पत्रकार किसी विद्यालय सरकारी अथवा अर्ध सरकारी विद्यालय की हालातो पर खबर नहीं बना सकता है खबर बनाने के पहले पत्रकार को परमिशन लेनी होगी। सबसे पहले वह विद्यालय के प्रबंधक या प्रधानाचार्य की अनुमति लेगा या फिर बीएसए से आज्ञा लेकर पत्रकारिता करेगा। यह लेटर जनपद मऊ से जारी हुआ है साथ ही रायबरेली जनपद के बीएसए ने भी एक किसी पत्रकार से जरिए मोबाइल पर आदेश किया है कि बिना प्रधानाचार्य के अनुमति आप खबर नहीं बना सकते हैं अगर मौके प्रधानाचार्य नहीं तो उसका इंतजार करिए। मतलब अब खबर बनाना है तो पहले अनुमति के इंतजार करिए। रायबरेली जनपद के बीएसए और मऊ का लेटर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जों समाज के चौथे स्तंभ को रौंद रहा है

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