वन विभाग की मेहरबानी से खुले आम संचालित हो रही हैं अवैध कोयला भट्ठियां
रायबरेली डलमऊ रेंज में इन दिनों लकड़ी माफियाओं के हौसले बुलंद हैं धड्डले से हो रही है अवैध कटान खुले आम वन विभाग के जिम्मेदारों की मिलि भगत से अवैध रूप से काटे जा रहे हैं हरे प्रतिबंधित पेड़ क्षेत्र की आरा मशीनों पर इन दिनों लगा हुआ है प्रतिबंधित लकड़ियों का अंबार सूत्रों की माने तो लकड़ी ठेकेदार एक पेड़ की परमिशन करा कर काट रहे हैं कई पेड़ लोगों का कहना है कि जब हरे पेड़ों की कटान के संबंध में वन विभाग में शिकायत की जाती है तो डलमऊ रेंज में तैनात कर्मचार्यों द्वारा जहां एक ओर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है तो वहीं दूसरी ओर शिकायत कर्ता के बारे में पूर्ण जानकारी वन माफिया व दबंग ठेकेदारों को दे दी जाती है जिसकी वजह से ये दबंग लोग शिकायत कर्ता पर हावी हो जाते हैं कई बार तो पत्रकारों को भी इन लकड़ी माफियाओं, दबंग ठेकेदारों और अवैध कोयला भट्टी संचालकों के प्रकोप का सामना करना पड़ जाता है सूत्रों की माने तो अभी हाल ही में वन विभाग व लकड़कटों के खिलाफ़ ख़बर चलाने पर एक पत्रकार के साथ लकड़ी माफियाओं ने मारपीट भी की थी वहीं स्थानीय लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया की डलमऊ रेंज में संचालित अवैध कोयला भट्ठियों से प्रतिमाह डलमऊ रेंज के ज़िम्मेदार वन कर्मचारीयों द्वारा मासिक शुल्क भी वसूला जाता है साथ ही प्रति पेड़ काटने के एवज में भी प्रति पेड़ के हिसाब से पैसा लिया जाता है, लेकिन सोचने वाली बात ये है कि जहां एक ओर प्रदेश सरकार वन संरक्षण को लेकर इतना सजग है और पर्यावरण संरक्षण हेतु प्रदेश सरकार द्वारा हज़ारों करोड़ पेड़ लगाए जा रहे हैं साथ ही इन पेड़ों के रख रखाओ हेतु खासा बजट आवंटित किया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर ज़िले में वन विभाग के आला अधिकारी डी एफ ओ साहब न तो इस ओर कोई ध्यान दें रहें हैं न ही संपर्क करने पर सरकार द्वारा जनता से संपर्क में बने रहने हेतु दिए गए सी यू जी नंबर को रिसीव करना मुनासिब समझते हैं ये कहना कुछ गलत न होगा की वन विभाग के उदासीनता की भेंट चढ़ रही हैं सरकार की मंशा आखिर कब सुधरेंगे ज़िम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी कब रुकेगा लकड़ी माफियाओं का हरे पेड़ों पर आरा ये एक सोचनीय विषय है।