काम करता हूँ “पत्रकारिता” के लिए मजदूर मत समझना,
लड़ता हूँ “पत्रकारिता” के लिए गुंडा मत समझना,
बहुत खामोश हूँ तो गूँगा मत समझना,
सच का साथ देता हूँ तो घुसखोर मत समझना।
जरूरत पड़ी तो लड़ूंगा भी, पागल मत समझना।
यह कलम मेरी ताकत है, इसे कमजोर मत समझना।
असत्य के खिलाफ खड़ा हूँ, मुझे बेअसर मत समझना।
समाज की सच्चाई दिखाता हूँ, मुझे दिखावा मत समझना।
इंसाफ की राह पर चलता हूँ, मुझे बिकाऊ मत समझना।
हर मुश्किल को पार करूँगा, मुझे हारा हुआ मत समझना।
ऐ मेरे “पत्रकारिता” के जवानों, तुम शेर हो, अपने आपको मामूली मत समझना।
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