????जितनी हिरनी की दूरी है ख़ुद अपनी कस्तूरी से,
उतनी ही दूरी देखी है इच्छा की मजबूरी से,????
भीड़ आ रही है सबको पैसे की जरुरत है मेरा जाना जरुरी है
माँ – फिर भी, बैंक है न वहा चले जाएँगे
योद्धा- नहीं माँ वहा बहुत भीड़ हो जाएगा जिससे संक्रमण का खतरा भी बाद जाएगा वैसे भी प्रधानमंत्री ने भी हमारी तारीफ की है ,तो उतना काम तो करना पड़ेगा ..
माँ–सबका चिंता तेरे को ही है क्या ?
योद्धा- नहीं माँ मेरे भी कुछ कर्त्तव्य है देश के प्रति उसे ही पूरा कर रहा हु, ऊपर से मुझे सुरक्षा के किए व्यवस्था किए है जैसे senetaizar , मास्क,हेंडवाश आदिवैसे भी बैंक,पुलिस,अस्पताल वाले भी तो कम कर रहे है …
इसके बाद जो माँ ने जवाब दिया जिससेयोद्धा भी कुछ समय के लिए डर गया
माँ – सब तो ठीक है लेकिन अगर तुझे कुछ हो गया तो मेरा क्या होगा …………
????योद्धा- ?
????माँ- ?
????योद्धा– अपने आप को संभालता है माँ को कहता है की आप कुछ भी सोचती हो फिर जैसे तैसे घर से निकलता है लेकिन माँ के शब्द अभी भी कान में गूंज रहे है ,सर घूम रहा है शारीर सुस्त हो रहा है वह रुकता है आराम से पेड़ के छाव मेंबैठता है फिर उसके मन में सवाल उठते है यही वो सवाल है जो सभीयोद्धावो के है जिसका जवाब कोई नहीं देता …..
योद्धा सोचता है ……
की बह दिनभर आम लोगो के बीच कार्य करता है ,दिनभरकितने लोगो से मिलता है अभी जिस प्रकार के परिस्थिति है मैं कितना रिस्क लेता हु, जब तक मैं हु तब तक सब सही मेरे बाद क्या ?अगर मुझे इस परिस्थिति में कुछ हो गया तो मेरे परिवार की जिम्मेदारी कौन लेगा ,उनकी सहायता कौन करेगा, मैं जहा काम करता हु वहा तो मेरे लिए कुछ नहीं है जब तक काम करूँगा तब तक मेरी पुच परख है उसके बाद कुछ है , अभीमेरे रहते अगर मैं आवाज उठाता हु तो मुझे दबा दिया जाता है अगर मैं ना रहू तो क्या होगा बैंक,पुलिस,अस्पताल कर्मियों को तो सरकारी सहायता मिलती है उनके बाद उनके आश्रितों को नौकरी भी मिल जाएगी सरकार से आर्थिक सहायता भी पर मेरा क्या मुझ पर कोई ध्यान नहीं देता आजयोद्धा का मन व्याकुल है वो डर रहा है….
आज सभी योद्धाओ का यही हाल है हक़ के लिए आवाज उठाने पर लातमारकर भगाने की बात की जाती है सब को दर्द है सब डर कर चुप बैठे है इस पर एक लेखक ने लिख है
एक मजबूर का तन बिकता है मन बिकता है
इन दुकानों में शराफ़त का चलन बिकता है
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