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रायबरेली पुलिस के रवैये ने चौथे स्तंभ का बनाया मज़ाक

पत्रकारों में भारी आक्रोश, आगामी प्रेस कॉन्फ्रेंस के बहिष्कार की संभावनाएं प्रबल

रायबरेली। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का सम्मान करना जहां शासन-प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी होती है, वहीं रायबरेली पुलिस ने अपने रवैये से इसे मज़ाक बना डाला। आईजी रेंज लखनऊ के आगमन पर आयोजित मिशन शक्ति प्रेस ब्रीफिंग में खाकी की अव्यवस्था और मीडिया के प्रति असंवेदनशील रवैया खुलकर सामने आया।

पुलिस मीडिया सेल ने पत्रकारों को जानकारी दी थी कि आईजी रेंज लखनऊ दोपहर तीन बजे मीडिया से वार्ता करेंगे। लेकिन निर्धारित समय पर न तो कोई स्पष्ट व्यवस्था की गई और न ही पत्रकारों के लिए आवश्यक सुविधाओं का ध्यान रखा गया। घंटों इंतज़ार कराने के बाद जब पत्रकारों को अंदर बुलाया गया तो पूरा हाल पहले से ही पुलिस अफसरों और कर्मचारियों से भरा हुआ था।

स्थिति यह रही कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार किसी तरह खड़े-खड़े बयान लेने को मजबूर हुए, जबकि प्रिंट मीडिया के पत्रकारों को तो सवाल-जवाब का अवसर तक नहीं मिला और उन्हें निराश होकर लौटना पड़ा। सवाल उठता है कि क्या रायबरेली पुलिस चाहती है कि पत्रकार जमीन पर बैठकर आईजी साहब की बात सुनें और सवाल करें…? क्या मीडिया को केवल खानापूर्ति के लिए बुलाया गया था…?

सरकार की मंशा मिशन शक्ति जैसी योजनाओं को प्रचार-प्रसार के माध्यम से समाज तक पहुँचाने की है। लेकिन रायबरेली पुलिस की उपेक्षा और अव्यवस्था ने इस मंशा को गहरा आघात पहुँचाया है। पत्रकारों के सम्मान की अनदेखी न सिर्फ लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का अपमान है, बल्कि पुलिस की सोच पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।

जनपद के वरिष्ठ पत्रकारों में इस घटना को लेकर गहरा आक्रोश है। उनका मानना है कि यदि पत्रकारों को सम्मान और सुविधा नहीं दी जा सकती, तो ऐसी प्रेस वार्ताओं का भविष्य में पूर्ण बहिष्कार किया जाएगा। पत्रकारों ने स्पष्ट कहा कि वे गुड वर्क जैसी औपचारिक प्रेस वार्ताओं में केवल मज़ाक का पात्र बनने नहीं जाएंगे।

अब देखना यह है कि क्या रायबरेली पुलिस अपनी इस भूल से सबक लेगी या पत्रकारों को आगे भी इसी तरह उपेक्षित करती रहेगी।

Samaj Tak
Author: Samaj Tak

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