रायबरेली (समाज तक संवाददाता):
राष्ट्रीय राजमार्ग-232 पर स्थित रायबरेली के गोझरी ग्राम पंचायत में ढाबों को लेकर एक के बाद एक गंभीर खुलासे हो रहे हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इन ढाबों में अवैध शराब की बिक्री और डीजल चोरी की गतिविधियां लंबे समय से चल रही हैं — और ये केवल अलग-अलग घटनाएं नहीं, बल्कि एक संगठित तंत्र का हिस्सा मानी जा रही हैं।
अवैध शराब: ठेके से ढाबे तक का रास्ता
स्थानीय लोगों और अनौपचारिक सूत्रों का दावा है कि
शराब की पेटियां सरकारी ठेकों से खरीदी जाती हैं,
फिर उन्हें ढाबों पर गुप्त स्थानों पर रखकर अधिक दामों में बेचा जाता है।
कई बार ग्राहक को भोजन तभी मिलता है जब वह शराब खरीदता है।
इसका सीधा अर्थ यह है कि ढाबों का मूल उद्देश्य — भोजन सेवा — अब दोयम हो चुका है।
डीजल चोरी: दबा दी गई घटनाएं
पूर्व में कुछ दिन पहले, कुछ ढाबों पर डीजल चोरी की घटनाएं भी सामने आई थीं।
स्थानीय निवासियों के अनुसार,
चोरी हुए डीजल की कालाबाज़ारी की जाती थी,
और जब कुछ लोगों ने विरोध किया, तो माहौल तनावपूर्ण हो गया।
सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि इन घटनाओं को सार्वजनिक नहीं किया गया।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि इन खबरों को जानबूझकर दबा दिया गया ताकि ढाबों की छवि पर असर न पड़े।
प्रशासनिक सक्रियता पर प्रश्नचिन्ह
हालांकि आबकारी विभाग और अन्य एजेंसियों द्वारा कभी-कभार औपचारिक जांच जरूर होती रही है, लेकिन
न तो किसी स्पष्ट परिणाम की जानकारी सामने आई,
न ही इन ढाबों को अभी तक पूर्ण रूप से अवैध गतिविधियों से मुक्त किया जा सका है।
कानूनी परिप्रेक्ष्य:
उत्तर प्रदेश आबकारी अधिनियम, 1910 की धारा 60 और 63 के तहत अवैध शराब बिक्री दंडनीय अपराध है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 379 के अंतर्गत डीजल चोरी और
धारा 176 के अंतर्गत अपराध की सूचना छिपाना,
स्वयं में गंभीर आपराधिक कृत्य हैं।
समाज तक की अपील:
ढाबों को लेकर जनता का भरोसा तभी लौटेगा जब
इन पर अवैध शराब और डीजल चोरी की गतिविधियों पर पूर्ण विराम लगे,
निष्पक्ष और पारदर्शी जांच हो,
और ढाबों की मूल भूमिका — यात्रियों को भोजन और विश्राम — बहाल की जाए।
