रायबरेली (उत्तर प्रदेश), 05 मई 2025
स्वतंत्र पत्रकार विजय प्रताप सिंह को मोबाइल पर जान से मारने की धमकी दी गई है। यह घटना न केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है, बल्कि प्रदेश में पत्रकारों की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न भी खड़ा करती है। हैरत की बात यह है कि पीड़ित पत्रकार द्वारा थाना गुरबक्शगंज में समय पर तहरीर दिए जाने के बाद भी 24 घंटे बीत जाने के बावजूद अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई।
घटना का विवरण:
03 मई 2025 की शाम लगभग 5:46 बजे पत्रकार विजय प्रताप सिंह को मोबाइल नंबर 9794380580 से एक कॉल आया जो 4 मिनट 10 सेकंड तक चला। कॉल करने वाले ने अश्लील भाषा का प्रयोग करते हुए जान से मारने की धमकी दी। पत्रकार ने इस पूरी बातचीत की रिकॉर्डिंग सुरक्षित रखी है।
आशंका की दिशा:
पत्रकार ने इस धमकी के पीछे चन्द्रमोल सिंह पुत्र सूर्यपाल सिंह, निवासी ग्राम गोझरी की भूमिका की आशंका जताई है। यह व्यक्ति स्थानीय स्तर पर प्रभावशाली माना जाता है और पूर्व में भी पत्रकारिता कार्य में हस्तक्षेप कर चुका है। पत्रकार का कहना है कि उन्हें स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्टाचार और अवैध खनन से जुड़ी खबरें न छापने की चेतावनी पहले भी मिल चुकी थी।
अब तक की कार्यवाही:
पत्रकार ने थाना गुरबक्शगंज में लिखित तहरीर दे दी है, साथ ही कॉल रिकॉर्डिंग, स्क्रीनशॉट और अन्य साक्ष्य संलग्न किए हैं। परंतु, 24 घंटे से अधिक समय बीत जाने के बावजूद पुलिस ने कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की, जो कि CRPC की धारा 154 के तहत स्पष्ट उल्लंघन है।
कानूनी पक्ष:
इस मामले में भारतीय दंड संहिता (IPC) की निम्न धाराएं लागू होती हैं:
धारा 504: जानबूझकर अपमान कर शांति भंग करना
धारा 506: आपराधिक धमकी
धारा 507: गुमनाम तरीके से धमकी देना
धारा 120B: आपराधिक साजिश
साथ ही आईटी एक्ट 2000 की धाराएं भी लागू होती हैं क्योंकि अपराध इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से हुआ है।
संविधानिक अधिकार:
भारत का संविधान अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। पत्रकार इस अधिकार का प्रयोग कर समाज के मुद्दों को उजागर करते हैं। लेकिन जब उन्हें धमकी दी जाती है या कार्य में बाधा उत्पन्न की जाती है, तो यह सीधे-सीधे लोकतंत्र की नींव पर हमला होता है।
पत्रकार सुरक्षा नीति की मांग:
पत्रकार ने उत्तर प्रदेश सरकार से पत्रकार सुरक्षा नीति के तहत तत्काल सुरक्षा की मांग की है। यह नीति अभी तक व्यवहारिक रूप में सख्ती से लागू नहीं है, जिससे पत्रकारों की सुरक्षा खतरे में रहती है।
प्रेस की भूमिका और जिम्मेदारी:
विजय प्रताप सिंह ‘समाज तक’ मीडिया के संस्थापक-संपादक हैं और वर्तमान में सीएसपी वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। वे भ्रष्टाचार, जनसुविधा, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मुद्दों पर रिपोर्टिंग करते रहे हैं। उनके साथ ऐसा व्यवहार न केवल उनके कार्य को बाधित करता है, बल्कि अन्य पत्रकारों के मन में भय का माहौल भी बनाता है।
निष्कर्ष:
यदि प्रशासन समय रहते उचित कार्रवाई नहीं करता तो यह न केवल संविधान की भावना के खिलाफ होगा, बल्कि स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए भी खतरे की घंटी है। पत्रकारों की सुरक्षा, लोकतंत्र की मजबूती के लिए आवश्यक है।
