खनन की शिकायत, जवाब में वन विभाग की रिपोर्ट! बछरावां पुलिस की चौंकाने वाली लापरवाही उजागर

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रायबरेली, उत्तर प्रदेश | विशेष रिपोर्ट | विजय प्रताप सिंह

जनसुनवाई पोर्टल की पारदर्शिता और जवाबदेही पर एक बार फिर सवाल उठ खड़ा हुआ है। रायबरेली जनपद के बछरावां थाना क्षेत्र में पत्रकार विजय प्रताप सिंह द्वारा दर्ज कराई गई अवैध मिट्टी खनन की शिकायत पर, थाना पुलिस ने जो जांच रिपोर्ट सौंपी, उसने पूरे सिस्टम की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर दिया है।


शिकायत क्या थी, और रिपोर्ट में क्या आया?

8 अप्रैल 2025 को नंदाखेड़ा गांव में अज्ञात लोगों द्वारा अवैध मिट्टी खनन की सूचना पत्रकार विजय प्रताप सिंह ने जनसुनवाई पोर्टल (IGRS संख्या 92515800011751) पर दी थी। शिकायत गंभीर थी और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से संवेदनशील मानी जा रही थी।

लेकिन जवाब में जो रिपोर्ट जनसुनवाई पोर्टल पर अपलोड की गई, वह किसी वन विभाग से संबंधित पेड़ कटाई की जांच पर आधारित थी। यानी न सिर्फ शिकायत को दरकिनार किया गया, बल्कि आईजीआरएस संख्या वही रखकर विषय ही बदल दिया गया। इसे सामान्य चूक नहीं, बल्कि शिकायत की गंभीरता को दबाने की कोशिश माना जा रहा है।


शिकायतकर्ता का आरोप: “क्या अब 1076 कॉल करने वाला गँवार होता है?”

पत्रकार विजय प्रताप सिंह ने पुलिस पर तीखा प्रहार करते हुए कहा,

“मैंने मिट्टी खनन की शिकायत की थी, जवाब में वन विभाग की कहानी थमा दी गई। क्या अब 1076 पर शिकायत करना गंवारपना है? अगर पढ़े-लिखे पुलिस अधिकारी इस स्तर की रिपोर्ट बनाएं, तो आम जनता की उम्मीद किससे हो?”


कानून की नजर में ये क्या है?

विधि विशेषज्ञों की मानें तो यह मामला निम्नलिखित कानूनी धाराओं के तहत कार्रवाई योग्य है:

IPC धारा 166: सरकारी कर्तव्य में जानबूझकर लापरवाही।

IPC धारा 218: गलत जानकारी देना या रिकॉर्ड को बदलना।

RTI अधिनियम, धारा 4(1)(d): सूचना में पारदर्शिता का अभाव।

इस तरह की रिपोर्ट, जहां शिकायतकर्ता गुमराह होता है और असली मुद्दे को दबा दिया जाता है, एक प्रकार का प्रशासनिक अपराध है।


प्रशासन से सवाल, जवाब कौन देगा?

जब शिकायत खनन की थी, तो रिपोर्ट वन विभाग की कैसे हो गई?

क्या जनसुनवाई पोर्टल पर अपलोड की जाने वाली हर रिपोर्ट की मॉनिटरिंग नहीं होती?

क्या ये मामला सिस्टम की मानव रहित लापरवाही है या मानव निर्मित खेल?


अब आगे क्या?

विजय प्रताप सिंह ने अब इस मामले को जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक व मुख्यमंत्री पोर्टल पर उठाने की तैयारी कर ली है। साथ ही RTI डालकर ये जानना चाहा है कि जांच में असल में क्या हुआ और किस स्तर पर रिपोर्ट को गलत तरीके से जोड़ा गया।


निष्कर्ष

यह मामला सिर्फ एक रिपोर्टिंग गलती नहीं, बल्कि न्याय प्रक्रिया की आत्मा पर प्रहार है। जनता की शिकायतों पर ऐसी कार्यप्रणाली यदि बनी रही, तो “जनसुनवाई” केवल एक औपचारिकता बनकर रह जाएगी।


रिपोर्टर: विजय प्रताप सिंह
समाज तक | रायबरेली ब्यूरो

Samaj Tak
Author: Samaj Tak

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