सरेनी में आदर्श मेडिकल स्टोर के नाम पर चल रहा अवैध क्लीनिक! फार्मासिस्ट संदीप पाल इंजेक्शन लगाते और पट्टी करते कैमरे में कैद, कानून को ठेंगा

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रायबरेली/समाज तक डेस्क:
रायबरेली के सरेनी क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था और कानून के खुले उल्लंघन का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। क्षेत्र के आदर्श मेडिकल स्टोर, जिसका संचालन संदीप पाल नामक व्यक्ति कर रहा है, वहाँ मेडिकल स्टोर की आड़ में अवैध रूप से क्लीनिक चलाया जा रहा है। वायरल वीडियो में संदीप पाल को खुलेआम इंजेक्शन लगाते व पट्टी करते हुए देखा गया है। यह दृश्य स्वास्थ्य सेवाओं की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है।

वीडियो ने खोली पोल:
एक वायरल वीडियो में देखा गया कि स्टोर के अंदर मरीजों का प्राथमिक उपचार किया जा रहा है। संचालक संदीप पाल खुद को फार्मासिस्ट बताते हुए मरीज को इंजेक्शन लगा रहा है, जो कि कानूनी रूप से पूरी तरह ग़लत और दंडनीय है।

कानून क्या कहता है?

  1. फार्मेसी एक्ट, 1948: फार्मासिस्ट को केवल दवा बिक्री की अनुमति है, मरीज का इलाज या इंजेक्शन देना पूरी तरह अवैध है।
  2. इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट, 1956 – धारा 15: बिना पंजीकृत चिकित्सक के कोई भी व्यक्ति मेडिकल प्रैक्टिस नहीं कर सकता।
  3. ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940: मेडिकल स्टोर को इलाज का केंद्र नहीं बनाया जा सकता, वहाँ केवल पंजीकृत दवाएं ही बेची जा सकती हैं।
  4. स्वास्थ्य और स्वच्छता का अभाव: वीडियो से यह भी साफ है कि स्टोर में बुनियादी स्वच्छता और व्यवस्था का घोर अभाव है, जो मरीजों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकता है।

प्रशासनिक तंत्र की चुप्पी क्यों?
स्थानीय प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, औषधि निरीक्षक और सीएमओ कार्यालय की चुप्पी भी कई सवाल खड़े कर रही है। क्या आदर्श मेडिकल स्टोर को क्लीनिक चलाने की अनुमति दी गई है? यदि नहीं, तो अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

समाज तक मीडिया की सख़्त माँग:

तत्काल जांच कर मेडिकल स्टोर के लाइसेंस और गतिविधियों का सत्यापन किया जाए।

संदीप पाल के खिलाफ FIR दर्ज कर कानूनी कार्यवाही की जाए।

CMO रायबरेली व औषधि निरीक्षक से सार्वजनिक जवाब लिया जाए।

भविष्य में इस तरह की गतिविधियों की रोकथाम के लिए स्थायी निगरानी तंत्र बनाया जाए।

निष्कर्ष:
स्वास्थ्य जैसी संवेदनशील सेवा में इस तरह की लापरवाही और अवैध गतिविधियाँ जनता के जीवन से सीधे खिलवाड़ हैं। यदि जिम्मेदार अधिकारी अब भी चुप रहे, तो यह मामला एक बड़े प्रशासनिक भ्रष्टाचार की ओर इशारा करेगा। समाज तक मीडिया इस मुद्दे को आगे भी मजबूती से उठाता रहेगा।

Samaj Tak
Author: Samaj Tak

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