प्रवीण गौतम — जो आज भी यूपी पुलिस में तैनात हैं — की एक पुरानी फोटो आज भी उनके फेसबुक पेज पर मौजूद है, जिसमें वह खुलेआम शस्त्र का प्रदर्शन करते नजर आ रहे हैं। सवाल यह नहीं कि फोटो 2015 की है, सवाल यह है कि क्या आज भी ऐसी मानसिकता रखने वाले व्यक्ति वर्दी पहन कर न्याय करेंगे?
सोचिए, जब कोई अधिकारी खुद ही इस तरह के कृत्य में संलिप्त हो और उसे कोई पछतावा नहीं, बल्कि गर्व हो, तो वह आम जनता को क्या न्याय देगा?
क्या ऐसे लोग राष्ट्र के लिए कुछ बेहतर कर सकते हैं?
क्या ऐसे लोग निष्पक्ष कार्रवाई कर सकते हैं?
जब एक आम नागरिक के लिए सख्त कानून है, तो वर्दीधारी के लिए छूट क्यों?
क्या यूपी पुलिस अब ऐसे मानसिकता वाले लोगों को संरक्षण देना ही अपना धर्म समझ रही है?
सोचिए…
विचार करिए…
और आवाज़ उठाइए।
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