रायबरेली | समाज तक
गर्मी अपने चरम पर है। तापमान लगातार बढ़ रहा है, लू चल रही है, और ऐसे में अगर कोई चीज है जो सबसे ज्यादा जरूरी है तो वह है – “जल”।
शरीर का सबसे अहम तत्त्व, सबसे उपेक्षित भी होता जा रहा है। हम खाने की चिंता तो करते हैं, पर पीने के पानी को अक्सर नजरअंदाज कर बैठते हैं।
हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है – वायु, अग्नि, आकाश, पृथ्वी और जल। इन सबमें से जल सबसे महत्वपूर्ण है। डॉक्टरों और विशेषज्ञों का साफ कहना है – जब शरीर को पर्याप्त पानी नहीं मिलता, तब सुस्ती, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द, थकावट और अनेक बीमारियां दस्तक देती हैं।
आज जब गर्मी में पसीना लगातार निकल रहा है, तब शरीर में “निर्जलीकरण” यानी डिहाइड्रेशन की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो जाती है।
तो क्या करें?
उत्तर सीधा है – “पानी पिएं, और खूब पिएं।”
डॉक्टर कहते हैं कि सिर्फ प्यास लगने पर पानी पीना पर्याप्त नहीं। शरीर को समय-समय पर पानी की आपूर्ति जरूरी है, ताकि वह ठीक से काम कर सके।
हर दिन कम से कम तीन से चार लीटर पानी पीना चाहिए।
लेकिन ध्यान रहे – फ्रिज का ठंडा पानी नहीं, बल्कि मटके का पानी या गुनगुना पानी ज्यादा फायदेमंद होता है।
जल है तो जीवन है – ये सिर्फ कहावत नहीं, एक सच्चाई है।
जल शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालता है, पाचन तंत्र को मजबूत करता है, कब्ज और गैस जैसी समस्याओं से बचाता है, त्वचा को चमकदार बनाता है, बालों को स्वस्थ रखता है और मानसिक ऊर्जा भी बढ़ाता है।
प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति भी यही कहती है –
“सुबह एक गिलास गुनगुना पानी शरीर को भीतर से शुद्ध कर देता है और दिन भर शरीर ऊर्जावान बना रहता है।”
तो अब देर किस बात की?
गर्मी के इस मौसम में हर दिन पानी को अपनी दिनचर्या में ऐसे शामिल करें जैसे आप सांस लेते हैं – बिना भूले, बिना रुके।
याद रखें – दवाएं शरीर को ठीक कर सकती हैं, लेकिन जल शरीर को बचा सकता है।
आज से ही संकल्प लें – “पानी जितना पिएं, उतना ही अच्छा।”
- विजय प्रताप सिंह
प्रबंध निदेशक, समाज तक मीडिया
