रायबरेली, 1 मई 2025 –
सताँव ब्लॉक में आंगनबाड़ी कर्मचारी जन कल्याण एसोसिएशन के बैनर तले एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता जिला अध्यक्ष बीना सिंह ने की। इस बैठक में सातों ब्लॉकों से आईं आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों ने भारी संख्या में भाग लिया, जिससे कार्यकर्त्रियों की एकजुटता और जागरूकता का परिचय मिला।
इस बैठक में माधुरी सिंह को सताँव ब्लॉक की ब्लॉक अध्यक्ष नियुक्त किया गया और उन्हें संगठनात्मक गतिविधियों का नेतृत्व सौंपा गया। बैठक में यह तय हुआ कि अन्य पदाधिकारियों का चयन आगामी खुली बैठक में पारदर्शिता के साथ किया जाएगा।
बैठक में प्रमुख रूप से जिन मुद्दों पर चर्चा हुई:
- मानदेय में देरी और अपर्याप्त भुगतान –
आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को मिलने वाला मानदेय न तो समय पर मिलता है, न ही वह जीवन यापन के लिए पर्याप्त है। - अतिरिक्त कार्यभार बिना अतिरिक्त सुविधा –
कई सरकारी योजनाओं का कार्य भी आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से कराया जाता है, परंतु उसके लिए कोई अतिरिक्त प्रोत्साहन नहीं मिलता। - संसाधनों की भारी कमी –
पोषण सामग्री, स्वास्थ्य उपकरण और शिक्षण सामग्री की भारी कमी है, जिससे जमीनी स्तर पर कार्य करने में परेशानी आती है। - स्थायीत्व की कमी और भविष्य असुरक्षित –
वर्षों तक सेवा देने के बावजूद स्थायी कर्मचारी का दर्जा नहीं मिलता, जिससे कार्यकर्त्रियों का भविष्य असुरक्षित बना रहता है।
संगठन की आवश्यकता क्यों पड़ी:
बैठक में कार्यकर्त्रियों ने स्पष्ट रूप से कहा कि जब वर्षों से उनकी समस्याओं को नजरअंदाज किया गया, तो उन्हें महसूस हुआ कि बिना एकजुट हुए कोई सुनवाई संभव नहीं। इसलिए यूनियन ही एकमात्र रास्ता बचा, जिसके माध्यम से वे अपनी आवाज को संगठित रूप से उठा सकती हैं।
जिला अध्यक्ष बीना सिंह ने कहा:
“हमारा संघर्ष व्यक्तिगत नहीं, सामूहिक अधिकारों का संघर्ष है। अब हमारी बात सरकार तक पहुंचेगी और हम मिलकर अपना हक लेकर रहेंगे।”
आगे की योजना:
आगामी खुली बैठक में सभी ब्लॉकों में पदाधिकारियों का गठन
जनपद स्तर पर ज्ञापन के माध्यम से शासन तक समस्याएं पहुंचाना
आवश्यकता पड़ने पर आंदोलनात्मक कार्यक्रम की तैयारी
निष्कर्ष:
यह बैठक सताँव ब्लॉक की आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों के लिए एक नई शुरुआत है। संगठन के माध्यम से अब वे संगठित होकर अपनी समस्याओं को शासन-प्रशासन तक पहुंचाने के लिए तैयार हैं। यूनियन अब उनकी आवाज़, उनकी ढाल और उनके हक की लड़ाई का माध्यम बन चुका है। ✍️विजय प्रताप सिंह
