लालगंज (रायबरेली), 30 अप्रैल 2025:
लालगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 7 फरवरी 2025 को पत्रकारों के साथ हुई मारपीट की घटना अब नया मोड़ लेती जा रही है। इस घटना में डॉक्टर गौरव पांडे और सत्यजीत सिंह सहित कुछ अन्य लोगों पर मारपीट का आरोप है। पीड़ित पत्रकार विजय प्रताप सिंह द्वारा जब रायबरेली स्तर पर न्याय न मिलने पर उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक को लिखित शिकायत दी गई, तो शासन ने इस मामले में तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी।
शिकायतकर्ता विजय प्रताप सिंह ने समिति के समक्ष पुख्ता साक्ष्यों के साथ बयान दर्ज कराया, जिसमें घटनास्थल से जुड़े फोटोग्राफ, पीड़ितों के बयान और स्वयं का लिखित बयान भी शामिल था। जांच प्रक्रिया जैसे ही आगे बढ़ी, आरोपित पक्ष में खलबली मच गई।
गवाह उमाशंकर पर जानलेवा दबाव
इस मामले में एक प्रमुख गवाह उमाशंकर, जो बहाई गाँव का निवासी है, को लगातार धमकाया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, डॉक्टरों के इशारे पर कुछ असामाजिक तत्व उसके घर तक पहुंच चुके हैं और मुस्लिम समुदाय के कुछ अज्ञात लोग भी गवाह को डराने का प्रयास कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि उसे बार-बार पैसे का लालच देकर बयान बदलने को कहा जा रहा है। 30 अप्रैल को उमाशंकर ने फोन पर बताया कि उसे रास्ते में घेरा गया और पत्रकारों के माध्यम से डॉक्टरों से ₹20,000 दिलाने की बात कही गई।
क्या यही है न्याय की तस्वीर?
गवाह को धमकाना, रिश्वत की पेशकश करना, और उसके घर तक गुंडे भेजना – क्या यही ‘न्याय प्रक्रिया’ का चेहरा है? अगर डॉक्टर निर्दोष हैं तो उन्हें जांच से डर क्यों लग रहा है? क्यों सीसीटीवी हटवाए गए? क्यों गवाहों को खरीदने की कोशिशें की जा रही हैं?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के “पत्रकार सुरक्षा” के दावे सवालों के घेरे में
मुख्यमंत्री द्वारा बार-बार पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर किए गए दावों के बावजूद ऐसी घटनाएं उन दावों को ठेंगा दिखा रही हैं। यह न केवल पत्रकारिता पर हमला है, बल्कि न्याय प्रक्रिया को भी प्रभावित करने की खुली कोशिश है।
प्रशासन से मांग
अब समय आ गया है कि पुलिस-प्रशासन इस पूरे मामले में तत्काल हस्तक्षेप करे। गवाह उमाशंकर की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और जो भी लोग उन्हें धमका रहे हैं या रिश्वत देने का प्रयास कर रहे हैं, उन पर सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही, जांच समिति को बिना किसी दबाव के निष्पक्ष जांच पूरी करनी चाहिए ताकि सच सामने आ सके और दोषियों को उनके कर्मों की सजा मिल सके।
